दक्षिण भारतीय सिनेमा की चर्चित अभिनेत्री बी. Saroja Devi का नाम सुनते ही कई यादें ताज़ा हो जाती हैं अपने अभिनय से उन्होंने सैकड़ों फिल्मों में लोगों के दिलों पर राज किया लेकिन उनके जीवन का एक पहलू ऐसा भी था जो पर्दे के पीछे रहा उनकी गहरी भावनाएं MGR के लिए और पति की मृत्यु के बाद अकेले जीने का फैसला
जब MGR को कहा ‘Anbu Daivam’
Saroja Devi और तमिल सिनेमा के सुपरस्टार एम. जी. रामचंद्रन (MGR) की जोड़ी ने कई हिट फिल्में दीं, जैसे Nadodi Mannan (1958), Enga Veettu Pillai (1965) और Anbe Vaa (1966) Saroja Devi ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि जब वह इंडस्ट्री में नई थीं, तो MGR ने उन्हें अभिनय में मदद की और हमेशा एक मार्गदर्शक की तरह रहे

उन्होंने कहा था “MGR मेरे लिए ‘Anbu Daivam’ थे, यानी एक प्यारे भगवान। उनके बिना सरोजा देवी की कल्पना नहीं की जा सकती उन्होंने बताया कि MGR के घर ‘रामावरम ठोट्टम’ में वो कई बार गई थीं, खाना खाया था और वह घर उनके लिए मंदिर जैसा है
शादी के बाद भी रही सिनेमा से जुड़ी
1967 में Saroja Devi ने श्री हर्षा से शादी की और इसके बाद भी उन्होंने फिल्मों में काम जारी रखा खास बात यह रही कि शादी के बाद भी उन्होंने खुद को सीमित नहीं किया और तमिल, कन्नड़ और तेलुगू फिल्मों में काम करती रहीं
पति की मृत्यु के बाद अकेले जीने का निर्णय
1986 में जब उनके पति का देहांत हुआ, तब उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया कई लोगों ने उन्हें दोबारा शादी करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया Saroja Devi ने खुद कहा था मैंने तय किया कि मैं अकेले रह सकती हूं मुझे किसी पुरुष साथी की ज़रूरत नहीं थी उन्होंने यह भी कहा कि पति की यादें उनके जीवन का आधार रहीं और वे उन्हें छोड़ नहीं सकीं
सम्मान और पुरस्कार
अपने अभिनय के लिए उन्हें 1969 में पद्मश्री और 1992 में पद्म भूषण से नवाज़ा गया उन्होंने कुल मिलाकर 200 से ज़्यादा फिल्में कीं और 161 फिल्मों में लगातार लीड रोल निभाया
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचना और श्रद्धांजलि के उद्देश्य से लिखा गया है इसमें शामिल सभी जानकारी विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों और पूर्व इंटरव्यू पर आधारित है इस लेख में व्यक्त विचार किसी व्यक्ति विशेष की निजी राय नहीं हैं। इसका उद्देश्य केवल पाठकों को बी. सरोजा देवी के जीवन से जुड़ी प्रमुख घटनाओं और यादों से अवगत कराना है इसमें प्रयुक्त किसी भी जानकारी से यदि किसी व्यक्ति या संस्था की भावना आहत हो, तो यह पूर्णतः अनजाने में हुआ है